“जब क्रोध में हों, तो दस बार सोचकर बोलिए, जब ज्यादा क्रोधित अवस्था में हों, तो हजार बार सोचिए।” – जेफरसन
क्योंकि इस बार शुरुआत शून्य से नहीं अनुभव से होगी!
जो सबका मित्र होता है, वो दरअसल किसी का मित्र नहीं होता।
जिन्हें मंज़िल पानी होती है वो सुझाव नहीं लेते!
ulloo ko din mein nahin deekhata, kauve ko raat mein nahin deekhata, lekin kamee aisa andha hota hai jise na din mein soojhata hai, na raat mein.
परेशान वही है जो दूसरों की खुशियों से त्रस्त है!
क्योंकि उनमें सफलता की सीढ़ियां छिपी होती हैं!
किंतु हम तो अच्छे बने हमें किसने रोका है!
तुम पाना चाहते हो उस पर नहीं जिसे तुम खो चुके हो!
कमजोर शरीर के साथ तो आप चल सकते हैं, लेकिन कमजोर हौसले के साथ नहीं।
पतझड़ हुए बिना पेड़ो पर नए पत्ते नहीं आते,
जीवन में त्याग का बहुत बड़ा महत्व माना गया aaj ka suvichar है। स्वामी विवेकानंद जी के अनुसार अगर जीवन में सफल बनना है तो त्याग आवश्यक है। बड़ी सफलता प्राप्त करने के लिए बड़ा त्याग भी देना पड़ता है।
“दोस्तों मेहनत से मोहब्बत करो, क्योंकि यह तुम्हारी कामयाबी की वजह बनेगा।”
जीवन के कुछ पल ऐसे होते है जो व्यक्ति के जीवन के आधार होते है ।