आसमान रो पड़ा मेरी मोहब्बत के अंजाम से।
ढूंढ तो लेते अपने प्यार को हम शहर में भीड़ इतनी भी न थी,
चली जाती है आये दिन वो बियुटी पार्लोर में यूं;
➡सुधरी हे तो बस मेरी आदते वरना मेरे शौक वो तो आज भी तेरी औकात से ऊँचे हैं
रोना भी जरूरी होगा और आंसू भी छिपाने होंगे।
जो मेरा ना हो सका वो किसी और का क्या होगा।
जब से वो हमारे ख्वाबों में आने लगे हैं।
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दिल को लगा कर छोड़ गए, वादे किए वादे तोड़ गए।
आदते बुरी नहीं ❌शोक ऊँचे है, वरना किसी ख़्वाब की इतनी औकात नहीं, की हम देखे और पूरा ना हो
मुझे तो तेरे साथ सिर्फ वक्त बिताना है।
प्यार का मुजरिम हूं मुझे डूब के मर जाने दे,
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गम ही गम है जिंदगी में ख़ुशी मुझे रास नहीं,